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रुपये की गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर

डॉलर में मजबूती के चलते रुपया लगातार गिर रहा है और संभावना जताई जा रही है कि रुपया अभी और कमजोर हो सकता है. आर्थिक जानकारों के मुताबिक माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह 70 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है. जानें रुपये की गिरावट के कौन-कौन से निगेटिव असर आपको देखने को मिल सकते हैं-

1.रुपये की गिरावट से महंगाई बढ़ने का डरः रुपये की गिरावट से import महंगे होंगे जिससे वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे. इसका सीधा असर महंगाई बढ़ने के रूप में देखा जाएगा.

2. सरकारी घाटा बढ़ेगाः-रुपए में कमजोरी से देश के सरकारी घाटे पर दबाव बढ़ने का डर रहता है जिसके चलते सरकार को खर्च नियंत्रित करना पड़ सकता है, इसका सीधा असर देश की विकास दर पर देखने को मिल सकता है.

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद |_40.1

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। “सीजिंग द ग्लोबल ऑपर्चुनिटी” शीर्षक से 14वें सीआईआई ग्लोबल मेडटेक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा पिछले डॉलर कॉस्ट मेथड दो वर्षों में नवाचार और प्रौद्योगिकी पर अधिक केन्द्रित हो गई है और 80 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल पद्धतियों का आने वाले पांच वर्षों में डिजिटल स्वास्थ्य साधनों में अपना निवेश बढ़ाने का लक्ष्य है।

नए क्षेत्र और संभावनाएं:

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि टेलीमेडिसिन भी 2025 तक 5.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने डॉलर कॉस्ट मेथड की उम्मीद है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी योजना ई-संजीवनी ने वर्चुअल डॉक्टर परामर्श को सक्षम बनाया है और देश के दूरदराज के हिस्सों में रहने वाले हजारों लोगों को अपने घरों में आराम से बैठकर बड़े शहरों के प्रमुख डॉलर कॉस्ट मेथड डॉक्टरों से जोड़ा है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य अगले 10 वर्षों में आयात निर्भरता को 80 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत से कम करना है और विशेष उपलब्धि- स्मार्ट (एसएमएआरटी) के साथ मेक इन इंडिया के माध्यम से मेड-टेक में 80 प्रतिशत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए संरचनात्मक और निरंतर सुधार किए हैं और एफडीआई को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल नीतियों की डॉलर कॉस्ट मेथड भी घोषणा की है।

महामारी भूमिका:

मंत्री ने कहा कि महामारी ने इस क्षेत्र में व्यापार करने के परिदृश्य को बदलकर एक अतिरिक्त गति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इसने स्वास्थ्य सेवा डॉलर कॉस्ट मेथड क्षेत्र के लिए विशेष रूप से टेली-परामर्श, एआई-आधारित निदान और दूरस्थ स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में व्यापक अवसर खोले हैं।

विजन @ 2047 पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि उम्मीद है कि भारत 14 से 15 प्रतिशत से ऊपर चिकित्सा उपकरणों के शीर्ष बाजारों में से एक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक स्थिति को घरेलू खपत बढ़ाने और स्वास्थ्य देखभाल सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 73 नए मेडिकल कॉलेज बनाकर राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन 2020 में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करके प्राप्त किया जा सकता है।

Break डॉलर कॉस्ट मेथड Even Point

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दूसरी तरफ, अगर इसे किसी पुट ऑप्शन पर लागू किया जाए तो ब्रेकइवन प्वॉइंट की गणना 100 डॉलर स्ट्राइक मूल्य डॉलर कॉस्ट मेथड माइनस अदा किया गया 10 डाॅलर प्रीमियम अर्थात 90 डाॅलर होगी। स्टाॅक मार्केट के ब्रेकइवन प्वॉइंट को ऐसे समझा जा सकता डॉलर कॉस्ट मेथड है कि मान लीजिए किसी निवेशक ने माइक्रोसॉफ्ट स्टॉक 110 डॉलर में खरीदा। यह व्यापार का उनका ब्रेकइवन प्वॉइंट है। अगर इसकी कीमत 110 डॉलर से अधिक होगी तो निवेशक लाभ कमाएगा और अगर इसकी कीमत 110 डॉलर से नीचे है तो वह नुकसान में रहेगा।

डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पहुंचा रुपया, इन चीजों के बढ़ सकतें हैं दाम

नई दिल्ली : Rupee vs dollar today 2022 : अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले में भारतीय रुपया लगातार अपने निचले स्तर को छू रहा है। शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ पैसे की गिरावट के साथ रुपया 77.82 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.81 पर कमजोर रुख के साथ खुला, और फिर 77.82 पर आ गया, जो इसका सर्वकालिक निम्न स्तर है।

कई चीजों के बढ़ सकते हैं दाम

Rupee reaches record low against dollar : डॉलर के मुकाबले रुपये का यूं लुढ़कना सिर्फ सरकार के लिए ही नहीं बल्कि जनता के लिए भी चिंता का सबब है। अब जनता को न सिर्फ विदेश से आयात होने वाले तेल, कंप्यूटर, मोबाइल के लिए ज्यादा पैसे अदा करने होंगे, वहीं विदेश में बच्चों की पढ़ाई का सपना भी महंगा हो जाएगा। हालांकि यदि आप आईटी कंपनी में है तो आपको इंसेंटिव अच्छा मिल सकता है।

Rupee reaches record low against dollar : रुपये की कमजोरी से सीधा असर जनता के जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।

मोबाइल और अन्य गैजेट की बढ़ेगी कीमतें

Rupee reaches record low against dollar : भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी इसका असर पडेगा।

Rupee reaches record low against dollar : इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ डॉलर कॉस्ट मेथड जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

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