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स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम

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शेयर मार्किट में निवेश करने के लिए जरूरी स्टेप |

लिस्टेड शेयरों में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। ये दोनों आपके बैंक खाते से जुड़े होने चाहिए। डीमैट अकाउंट में शेयरों के अलावा आप म्यूचुअल फंड, गोल्ड बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी और इंश्योरेंस प्लान भी रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट खोलने के लिए डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चुनना होगा।

#1. Open Trading Account

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  1. Zerodha Demat Account – Best discount broker in India
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किस प्रकार का ट्रेड आपके लिए सही है?

जब भी आप किसी व्यापारिक संपत्ति को खरीदते या बेचते हैं, जैसे Stock या ETF, तब आप विभिन्न तरह के Trade Order दे सकते हैं। इसमें दो मुख्य आर्डर Market Order (बाजार आदेश) और Limit Order (सीमा आदेश) शामिल हैं।

सीमा आदेश प्रक्रिया (Limit Orders Process), आपके द्वारा जिस कीमत का भुगतान किया जाता है वह उस पर नियंत्रण रखने का एक तरीका है। आप एक मूल्य निर्धारित कर सकते है जिस पर आप एक निश्चित संपत्ति खरीद सकते है या बेच सकते है। यह आपको अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए ज्यादा नियंत्रण करने की सुविधा प्रदान करता है।

बाजार आदेश प्रक्रिया (Market Orders Process) यानि की “निष्पादित,” तुरंत प्रक्रिया के रूप में होती है। जिस संपत्ति का व्यापार आप कर रहे है तो उस समय पर जो सर्वोत्तम मूल्य उपलब्ध होता है वह उस पर बेची जाती है।

स्टॉक मार्केट में कितने सेक्टर होते हैं?

स्टॉक मार्केट में अलग-अलग तरह के क्षेत्र होते हैं. ऑयल, रियल इस्टेट, बैंकिंग, कंज्यूमर गुड्स, मेटल, स्टील, पावर, संचार यह कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर निवेशक अपनी पसंद के अनुसार निवेश कर सकता है. अगर किसी निवेशक को अपनी पसंदीदा कंपनी चुननी है तो सबसे पहले उसे कंपनी के बारे में जानना होगा. बैलेंस सीट के साथ-साथ स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम क्या है उस कंपनी का टर्नओवर उसके बारे में भी निवेशक को जानकारी हासिल करनी चाहिए.

शेयर मार्केट की परिभाषा समझाइये?

शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ कंपनियों के शेयर्स को खरीदा और बेचा जाता है।

स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम

Pune, Maharashtra, India: शेयर निवेशकों को स्टॉक मार्केट के अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए किफ़ायती ब्रोकरेज सेवाओं की आवश्यकता है। आजकल ब्रोकर कम शुल्क में गुणवत्तापूर्ण सेवा देने का प्रयास कर रहे हैं। डिस्काउंट ब्रोकिंग उद्योग के अग्रणी ब्रोकर शेयर निवेशकों के लिए आकर्षक ब्रोकरेज योजनाएं लेकर आ रहे हैं।

चुनौतियाँ

सक्रिय शेयर स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम निवेशक कई बार सिक्योरिटीज खरीदते और बेचते हैं और इसलिए पूर्ण-सेवा ब्रोकरेज (Full-Service Broker) से जुडी उच्च ब्रोकरेज लागत उनके लिए एक चुनौती की तरह है।

अपर्याप्त कॅश बैलेंस के चलते उपलब्ध अवसर का लाभ उठाने के लिए उन्हें कई बार मार्जिन पर पोजीशन लेने की आवश्यकता होती है। मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग (एमटीएफ) निवेशकों की खरीद क्षमता को बढ़ाता है लेकिन उच्च ब्याज दरों के रूप में एक अतिरिक्त चुनौती भी पेश करता है।

गोल्ड ईटीएफ के बारे में जानें बड़ी बातें

गोल्ड ईटीएफ के बारे में जानें बड़ी बातें

जिस तरह म्यूचुअल फंड में निवेश का मूल्य सिक्योरिटी (इक्विटी या डेट) से तय होता है, ठीक वैसे ही गोल्ड र्इटीएफ की कीमत भी सोने के मूल्य से तय होती है. अभी दस ग्राम सोने का मूल्य करीब 31 हजार रुपये के आसपास है.

स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदने-बेचने की सुविधा
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड होने के कारण गोल्ड ईटीएफ स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम को केवल स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है. इससे आप सोने को जूलरी, सिक्के या बिस्कुट इत्यादि के रूप में रखने की परेशानी से बच जाते हैं. आभूषण, सिक्कों और बिस्कुट को खरीदने या बेचने में शुरू में काफी खर्च बैठता है. गोल्ड र्इटीएफ के साथ यह खर्च काफी कम आता है. मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता एक और फायदा है. जिस कीमत पर इसे खरीदा जाता है, वह असली सोने की कीमत के करीब होती है. इसका बेंचमार्क सोने की कीमत है.

Sebi ने ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर्स के लिए जारी किए नियम, स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम खुदरा निवेशकों के बीच बढ़ेगा भरोसा

Online bond platforms: सेबी ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि नये नियमों के तहत नियामक से शेयर ब्रोकर का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति ‘ऑनलाइन बॉन्ड’ प्लेटफॉर्म (Online bond platforms) प्रोवाइडर के रूप में काम नहीं करेगा.

यह खुदरा निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में को गति देने में मददगार होगा. (File Photo)

Online bond platforms: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज बेच रहे ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदान करने वालों के लिए चीजें आसान बनाने को लेकर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पेश की है. सेबी ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि नये नियमों के तहत नियामक से शेयर ब्रोकर का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति ‘ऑनलाइन बॉन्ड’ प्लेटफॉर्म (Online bond platforms) प्रोवाइडर के रूप में काम नहीं करेगा.

खुदरा निवेशकों के बीच बढ़ेगा भरोसा

इस नियम के लागू होने की तारीख से पहले रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के बिना ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति तीन महीने की अवधि के लिये अपना काम जारी रख सकता है. बॉन्ड्स इंडिया डॉट कॉम के संस्थापक अंकित गुप्ता ने सेबी के कदम को बॉन्ड सेक्टर के लिये एक महत्वपूर्ण पहल करार दिया. यह खुदरा निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में को गति देने में मददगार होगा.

उन्होंने कहा, अभी बाजार नियंत्रित नहीं है. इससे सेक्टर में प्रवेश को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है. इससे निवेशकों के बीच संबंधित व्यक्ति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है, सेबी के इस कदम के अन्य संबंधित नियमों से निवेशकों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है.

शेयर बाजार से अलग है ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म

सेबी के स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम अनुसार, Online Bond Platform मान्यता प्राप्त शेयर बाजार से अलग है. यह कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली हो सकती है, जिस पर लिस्टेड या लिस्ट होने के लिए प्रस्तावित डेट सिक्योरिटीज की पेशकश और लेनदेन किया जाता है. इसके अलावा, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर से आशय, वैसे व्यक्ति से है, जो इस तरह के प्लेटफॉर्म का संचालन करता है.

इसके तहत, Sebi ने एनसीएस नियमों में संशोधन किया है. नया नियम 9 नवंबर से प्रभावी हो गया है. इसके अलावा, सेबी ने अलग से प्रायोजकों के लिये रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) इकाइयों की न्यूनतम शेयरहोल्डिंग जरूरतों को घटाकर 15% करने के नियमों को अधिसूचित किया है. अबतक यह 25% था. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक कंपनियों को REITs लाने के लिये प्रोत्साहित करना है.

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