ये देश बिकाऊ नहीं है. कॉर्पोरेटों, किसानी छोड़ो

9 अगस्त को मजदूर-किसानों का देशव्यापी आंदोलन

प्रदेश में 25 किसान संगठन करेंगे आंदोलन

This country is not for sale. Corporations, leave the harvest

रायपुर, 02 अगस्त 2020. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और भूमि अधिकार आंदोलन के आह्वान पर 9 अगस्त को छत्तीसगढ़ में किसानों और आदिवासियों के 25 संगठन ‘ये देश बिकाऊ नहीं है और कॉर्पोरेटों, किसानी छोड़ो’ के थीम नारे के साथ आंदोलन के मैदान में होंगे। इसी दिन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के झंडे तले संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूर भी देशव्यापी आंदोलन करेंगे। किसान संघर्ष समन्वय समिति और भूमि अधिकार आंदोलन से जुड़े विजय भाई और छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने यह जानकारी दी।

एक बयान में उन्होंने बताया कि यह आंदोलन मुख्यतः जिन मांगों पर केंद्रित है, उनमें आगामी छह माह तक हर व्यक्ति को हर माह 10 किलो अनाज मुफ्त देने और आयकर के दायरे के बाहर के हर परिवार को हर माह 7500 रुपये नगद सहायता राशि देने, मनरेगा में मजदूरों को 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने और शहरी गरीबों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना चलाने, श्रम कानूनों, आवश्यक वस्तुओं, कृषि व्यापार और बिजली कानून में हाल ही में अध्यादशों और प्रशासकीय आदेशों के जरिये किये गए संशोधनों को वापस लेने, कोयला, रेल, रक्षा, बैंक और बीमा जैसे सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण पर रोक लगाने, किसानों की फसल का समर्थन मूल्य सी-2 लागत का डेढ़ गुना तय करने, उन्हें कर्जमुक्त करने, किसानों को आधे दाम पर डीजल देने, प्राकृतिक आपदा और लॉक डाऊन के कारण खेती-किसानी को हुए नुकसान की भरपाई करने, वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को वन भूमि के व्यक्तिगत और सामुदायिक पट्टे देने तथा पेसा और 5वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग का फैसला करने का अधिकार स्थानीय समुदायों को दिए जाने की मांगें शामिल हैं।

अध्यादेशों के जरिये कृषि कानूनों में किये गए परिवर्तनों को किसान विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे फसल के दाम घट जाएंगे, खेती की लागत महंगी होगी और बीज और खाद्य सुरक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की संभावना भी समाप्त हो जाएगी। ये परिवर्तन पूरी तरह कॉरपोरेट सेक्टर को बढ़ावा देते हैं और उनके द्वारा खाद्यान्न आपूर्ति पर नियंत्रण से जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को ‘वन नेशन, वन एमएसपी‘ चाहिए, न कि वन मार्केट!

किसान नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में केंद्र की भाजपा सरकार आम जनता विशेषकर मजदूरों, किसानों और आदिवासियों को राहत पहुंचाने में असफल साबित हुई है। वह उनके अधिकारों पर हमले कर रही है और आत्मनिर्भरता के नाम पर देश के प्राकृतिक संसाधनों और धरोहरों को चंद कारपोरेट घरानों को बेच रही है। इसलिए देश के गरीबों को आर्थिक राहत देने और उनके कानूनी और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर किसानों और आदिवासियों के संगठन 9 अगस्त को गांवों और मजदूर बस्तियों में देशव्यापी विरोध आंदोलन आयोजित कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस आंदोलन में शामिल होने वाले संगठनों में छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, राजनांदगांव जिला किसान संघ, छग प्रगतिशील किसान संगठन, दलित-आदिवासी मंच, क्रांतिकारी किसान सभा, छग किसान-मजदूर महासंघ, छग प्रदेश किसान सभा, जनजाति अधिकार मंच, छग किसान महासभा, छमुमो (मजदूर कार्यकर्ता समिति), किसान महापंचायत, आंचलिक किसान सभा, सरिया, परलकोट किसान संघ, अखिल भारतीय किसान-खेत मजदूर संगठन, वनाधिकार संघर्ष समिति, धमतरी आदि संगठन प्रमुख हैं। 9 अगस्त को ये संगठन फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में सत्याग्रह, धरना, प्रदर्शन, सभाएं आदि आयोजित करेंगे।

झारखंड में सियासी संकट, CM सोरेन को विधायकों के टूटने का सताने लगा डर

नेशनल डेस्क: झारखंड में सियासी संकट लगातार बढ़ता नजर आ रहा है। सीएम हेमंत सोरेन की अगुवाई में सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के सभी विधायकों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शिफ्ट किए जा रहा है। ऐसे में सीएम सोरेन को यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) विधायकों के टूटने का डर सताने लगा है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि डर की वजह से ही सीएम सोरेन खुद बस में सवार होकर विधायकों को एयरपोर्ट छोड़ने पहुंचे। खास बात यह है कि एयरपोर्ट निकलने से पहले विधायक सीएम आवास पहुंचे थे।

सूत्रों की मानें तो सीएम ने विधायकों से बातचीत की है। उसके बाद सभी को दो बसों में बैठाकर सीएम आवास से लेकर हेमंत विधायकों को रांची एयरपोर्ट छोड़ने के बाद सीएम हेमंत सोरेन वापस लौट गए। इसके पीछे एक सितंबर में रांची में होने वाली कैबिनेट बैठक को माना जा रहा है। सीएम सोरेन इस कैबिनेट बैठक में मौजूद रहेंगे। सीएम ने रांची एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में कहा कि कोई अनहोनी नहीं होगी। हर परिस्थिति का सामना करने के लिए सत्ता पक्ष तैयार है। रणनीति के तहत कार्य किए जा रहे हैं। उसी रणनीति की छोटी सी झलक पहले और आज सभी ने देखा, आगे भी कई चीजें देखने को मिलेंगी। राज्य में षड्यंत्रकारियों को जवाब सत्ता पक्ष तरीके से देगी। मैं आपको बता दूंगा कि क्या मैं भी विधायकों के साथ जाऊंगा।

दरअसल, बीजेपी के ऑपरेशन लोटस का डर सोरेन को सताने लगा है। हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए यूपीए विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य में शिफ्ट किया जा रहा है। झारखंड की राजनीति की तस्वीर तेजी से बदलती देख सीएम सोरेन ने ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ का सहारा लिया है। जिसके तहत विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए रायपुर भेजा जा रहा है। सीएम आवास में पहुंचे सभी यूपीए विधायकों को दो बस में बैठाकर रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट हेमंत सोरेन रवाना हुए। इसी दौरान सोरेन कालाबाज़ारी के लिए ट्रेडिंग रणनीति की बस के पीछे आ रही बस बेकाबू होकर पोल से टकरा गई। घटना में बस के शीशे चकनाचूर हो गए। हालांकि, घटना में किसी भी विधायक को चोट नहीं पहुंची. सभी विधायक सुरक्षित एयरपोर्ट पहुंचे।

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अफगानिस्तान के बाद अब श्रीलंका पर आई नई मुसीबत!

अफगानिस्तान के बाद अब श्रीलंका पर आई नई मुसीबत!

भारतीय मीडिया में आजकल सबसे ज्यादा चर्चा अफगानिस्तान की है। पड़ोसी मुल्क होने के नाते ऐसा होना स्वाभाविक है, लेकिन क्या अफगानिस्तान की तुलना में श्रीलंका हमारे ज्यादा करीब नहीं है?

बहुत कम लोगों को पता है कि श्रीलंका में वित्तीय आपातकाल (इकोनॉमिक इमरजेंसी) लगा दि गई है। श्रीलंका, घोर आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

क्या इससे चौंकने की जरूरत है?
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था एशियाई देशों में सबसे अच्छी अर्थव्यवस्थाओं में से एक मानी जाती है। श्रीलंका की प्रतिव्यक्ति आय भारत से दोगुनी है। श्रीलंका के सामाजिक संकेतक (social indicators) केरल के बराबर हैं। कई हिस्से तो केरल से भी बेहतर हैं।

2.1 करोड़ की आबादी वाला संपन्न देश अचानक इतने बड़े आर्थिक संकट में कैसे फंस गया? इस सवाल का जवाब आपको चौंका सकता है। हालांकि, उससे पहले यह समझना जरूरी है कि यह आर्थिक संकट कितना गहरा है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये की कीमत फिलहाल 230 हो गई है। यानी एक डॉलर पाने के लिए 230 श्रीलंकाई रुपये खर्च करने होंगे। आमतौर पर यह 190 से 195 के बीच हुआ करती थी।

श्रीलंका में महंगाई, कालाबाजारी और जमाखोरी अपने चरम पर है। विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे जा रहा है और यह घटकर 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है। खाने-पीने की चीजों से लेकर अन्य सामान की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है। इस हालात के मद्देनजर श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी है।

सेना को अधिकारी को दी जमाखोरी से निपटने की जिम्मेदारी
राष्ट्रपति ने कालाबाजारी से निपटने के लिए सेना के अधिकारी मेजर जनरल एनडीएसपी निवोनहेला को देश का कंट्रोलर ऑफ सिविल सप्लाई नियुक्त किया है। इनका काम देश के गोदामों और ऐसे ठिकानों पर रेड करना है जहां अवैध तौर पर जमाखोरी हो रही है।

निवोनहेला का काम यह देखना है कि चीनी, चावल, किरॉसिन, खाद्य तेल जैसी आवश्यक चीजों की अवैध जमाखोरी न हो। फिलहाल, श्रीलंका में इन चीजों की सप्लाई या तो रुक गई है या बहुत कम हो गई है। आम इस्तेमाल की इन चीजों में से ज्यादातर का श्रीलंका में आयात किया जाता है।

रुपये की लगातार गिर रही कीमत के चलते इन चीजों का आयात करने वाले व्यापारियों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। यही वजह है कि वे इन चीजों की जमाखोरी करने को मजबूर हैं। आम जनता, महंगाई और लगातार कम हो रही सप्लाई के वजह से इन चीजों की होर्डिंग कर रही है। दुकानों के सामने लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं, जबकि इस दौरान श्रीलंका में कोरोना भी तेजी से फैल रहा है।

आयात पर लगा प्रतिबंध
रुपये की गिरती कीमत और विदेशी मुद्रा भंडार में आ रही कम के चलते श्रीलंका सरकार ने आयात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। बता दें कि एशियाई देशों में श्रीलंका पहला ऐसा देश था जिसने उदारीकरण को सबसे पहले अपनाया था। यही वजह है कि आर्थिक तौर पर वह एशिया के ज्यादातर देशों से बेहतर स्थिति में रहा है।

निर्यात करने वाले व्यापारी अपने धन को अपने बैंक खाते में जमा नहीं करा सकते। क्योंकि, निर्यात के बदले उन्हें डॉलर में भुगतान मिलता है जिसे श्रीलंका के सेंट्रल बैंक में जमा कराना पड़ रहा है। लोगों से कहा जा रहा है कि वह ईंधन का सोच समझकर इस्तेमाल करें।

क्यों संकट में आई श्रीलंका की अर्थव्यवस्था
1. इस संकट का पहला कारण पर्यटन है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदाना सबसे ज्यादा है। पिछले डेढ़ साल से कोरोना ने दुनिया को अपनी जद में ले रखा है और इसने श्रीलंका के पर्यटन उद्योग को भी प्रभावित किया है।

फिलहाल श्रीलंका में कोरोना अपने चरम पर है। पिछले दो हफ्तों से कोरोना की वजह से रोजाना 200 के करीब मौतें हो रही हैं। 2.1 करोड़ की आबादी में 200 मौतें भयावह हैं। रोजाना करीब 5000 लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। दिल्ली की आबादी के बराबर वाले देश में रोजाना इतने लोगों का कोरोना से मरना और संक्रमित होना खतरनाक संकेत है। जबकि, श्रीलंका का पब्लिक हेल्थ सिस्टम भारत के केरल राज्य से भी बेहतर है। इस संकट ने श्रीलंका में पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है।

2. डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ रही है जिससे महंगाई बढ़ रही है। साथ ही जमाखोरी और कालाबाजारी का खतरा बढ़ता जा रहा है।

3. इस आर्थिक संकट के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार श्रीलंका की सरकार है। श्रीलंका सरकार के एक फैसले ने वहां के किसानों की एक झटके में ही कमर तोड़ दी है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक दिन अचानक घोषणा कर दी कि देश में अब पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती की जाएगी। कीटनाशक, यूरिया, खाद सब कुछ अचानक बिकना बंद हो गए।

इस फैसले के बाद श्रीलंका में चाय पत्ती की खेती में 50% की गिरावट आई। बता दें कि श्रीलंका के कुल निर्यात में चाय का योगदान 10% है। सिर्फ चाय के निर्यात में कमी से सरकार को 1.25 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

इसके अलावा इलायची, दालचीनी, कालीमिर्च, चावल और सब्जियों का उत्पादन आधे से भी कम हो गया है। दुनिया में दालचीनी के कुल निर्यात में 85% हिस्सा अकेले श्रीलंका का था, जो गिरकर आधा हो चुका है।

हालांकि, इसके बाद भी सरकार अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। सरकार अभी भी किसानों से यही कह रही है कि जल्द ही उन्हें जैव कालाबाज़ारी के लिए ट्रेडिंग रणनीति उर्वरक दिया जाएगा, ताकि वह ऑर्गेनिक खेती जारी रख सकें। सरकारें जब मनमानी पर उतर आती हैं और विज्ञान की जगह विचारधारा से प्रभावित होकर फैसले करने लगती हैं, तो ऐसे ही भयावह नतीजे सामने आते हैं।

जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई: कालाबाजारी करते पकड़े गए 3 दुकानदार

शासन, प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्र व्यापी संकट के दौरान भी कई दुकानदार सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। लाकडाउन के दौरान आपूर्ति बाधित होने का हवाला देते हुए वे न केवल वस्तुओं को निर्धारित दरों से अधिक मूल्य पर बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं।

Vidushi Mishra

जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई: कालाबाजारी करते पकड़े गए 3 दुकानदार

तेज प्रताप सिंह

गोंडा। शासन, प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्र व्यापी संकट के दौरान भी कई दुकानदार सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। लाकडाउन के दौरान आपूर्ति बाधित होने का हवाला देते हुए वे न केवल वस्तुओं को निर्धारित दरों से अधिक मूल्य पर बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं। बुधवार को भेष बदलकर बाजार का हाल जानने दुकानों पर पहुंचे अधिकारियों ने कालाबाजारी में लिप्त तीन दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन सभी के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर दुकानें सील किए जाने की तैयारी चल रही है। सभी दुकानदारों को हिरासत में ले लिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार, जिला प्रशासन की तरफ से लाकडाउन के दौरान दैनिक उपयोग की वस्तुओं, फलों व सब्जियों के थोक व खुदरा मूल्य निर्धारित करते हुए सभी व्यापारियों से संकट की इस घड़ी में प्रशासन को सहयोग करने व निर्धारित मूल्य से अधिक पर सामानों की बिक्री न किए जाने का अनुरोध किया था।

इसके बावजूद बाजार में जमाखोरी व ओवर रेटिंग की शिकायत मिल रही थी। जिलाधिकारी कालाबाज़ारी के लिए ट्रेडिंग रणनीति डा. नितिन बंसल ने आज नगर मजिस्ट्रेट वंदना त्रिवेदी को दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया।

इसके बाद नगर मजिस्ट्रेट ने उप जिलाधिकारी सदर वीर बहादुर यादव, पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर लक्ष्मीकांत गौतम व सूचना विभाग के कर्मचारी अरुण सिंह के सहयोग से हुलिया छिपाकर दुकानों का जायजा लेने का निर्णय लिया।

बताया जाता है कि नगर मजिस्ट्रेट वंदना त्रिवेदी बुधवार को भेष बदलकर स्कूटी पर सवार होकर सबसे पहले अम्बेडकर चौराहे पर स्थित शर्मा किराना स्टोर पर पहुंची। प्रशासन द्वारा इस दुकान को फुटकर बिक्री के लिए खोलने की अनुमति दिए जाने के बावजूद दुकानदार काफी ऊंचे मूल्यों पर सामान बेंच रहा था।

नगर मजिस्ट्रेट द्वारा जरूरी सामानों की खरीद के उपरान्त रसीद बनवाकर जब कुछ पैसे कम लेने की गुजारिश की गई तो दुकानदार ने उनसे अभद्रता करते हुए सामान का पैकेट हाथ से छीन लिया और बिना पूरा पैसा लिए सामान न देने की बात कही। इसके बाद उन्होंने बगल की दुकान पर जाकर भी कुछ खरीददारी की।

यहां पर भी यही स्थिति देखने को मिली। सामान ऊंचे दामों पर बेंचा जा रहा था। इसको लेकर दुकानदार से बाकायदा झिकझिक भी हुई। इन सारे दृश्यों की गोपनीय ढंग से विधिवत रिकार्डिंग भी कराई गई।

बाद में अधिकारियों ने चौंक स्थित शंकर ट्रेडिंग कम्पनी पहुंचकर जांच किया। यह दुकान थोक विक्रेता की है, किन्तु फुटकर में भी वस्तुओं की बिक्री ऊंचे मूल्यों पर की जा रही थी। यहां भी सामान खरीदकर बिल बनवाया गया। इसके बाद प्रशासन की तरफ से तीनों दुकानों पर छापा डालकर दुकानदारों को हिरासत में ले लिया गया है।

बताया जाता है कि सभी के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मुकदमा कालाबाज़ारी के लिए ट्रेडिंग रणनीति दर्ज कर दुकानें सील की जाएंगी। नगर मे आज की इस कार्रवाई के बाद दुकानदारों में भी हड़कम्प मच गया है।

मधुबनी : ग्रामीणों ने पकड़ा कालाबाज़ारी का चावल

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अंधराठाढी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढी। लोगो ने डुमरा चौक पर मंगलवार की सुबह सरकारी खाद्यान से लदे एक पिकअप को पकड़ा। लोगों ने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को भी दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे खाद्य आपूति अधिकारी जैनेन्द्र कुमार ने बताया कि मामले की जांच कर अज्ञात लोगों के खिलाफ रुद्रपुर थाना में एक मामला दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। खाद्यान को स्थानीय डीलर के जिम्मे रखते हुए हुए पिकअप को भी पुलिस ने जब्त कर दिया है। लोगो के अनुसार जप्त किया गया 65 बोरी चावल कालाबाज़ारी के लिए इकट्ठा किया जा रहा था। क्या है मामला - डुमरा गांव में ग्रामीणों ने मंगलवार की सुबह एक पिकअप को सरकारी चावल के साथ पकड़ लिया। प्रशासन को सूचना दी गयी की सरकारी चावल कालाबाजारी के लिए जमा किया जा रहा है। सूचना पाकर प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी जैनेन्द्र कुमार रुद्रपुर थाना के कपिलदेव सिंह के साथ मौके पर पहुॅचे। मौके पर पहुॅचे अधिकारियों ने खाद्यान्न को अपने कब्जे मे ले लिया। पुछताछ करने पर पता चला की यह चावल किसी व्यापारी का है जो सरकारी खाद्यान खरीदकर उच्चे दामो पर खुले बाजार में बेचता है। पूछताछ करने पर ये भी पता चला की कालाबजारी का ये अनाज व्यापारी पहले कहीं स्टॉक करते हैं। बाद मे स्टॉक किये माल को ट्रेक्टर से उठाकर ले जाते है और उसे खुला बाजार में उॅचे दामो पर बेच देते है। क्या कहते है अधिकारी- मौके पर पहुचे जैनेन्द्र कुमार ने बताया की मामले की अच्छी तरीके से छानबीन की जायेगी और दोषियो को बख्सा नही जायेगा। पकडे गये अनाज को जब्त कर लिया गया है और जॉच पडताल चल रही है।

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