Mutual Funds में निवेश के जरिये करोड़ों पाने की है चाहत? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
निवेश बेचने वाले हमेशा एक करोड़ की मुश्किल से जूझते रहते हैं। अक्सर यह मुश्किल सवाल के तौर पर सिर उठाता है। अगर मैं एक निश्चित राशि का निवेश निश्चित दर पर हर महीने करूं तो क्या मुझे निश्चित समय बाद एक करोड़ रुपये मिलेंगे। आइए जानें एक्सपर्ट की राय।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। आमतौर पर चुनौती इस निश्चित राशि, दर और समय के अलग-अलग समीकरणों को हल करने की होती है। इस चुनौती का जवाब कितना कारगर या बेकार होगा, ये इन तीनों कारकों में भरी गई रकम और अवधि पर निर्भर करता है। मिसाल के तौर पर, अगर केवल निश्चित समय का ही मसला हो, तो एक स्वीकार किए जाने वाला जवाब दिया जा सकता है। पर बदकिस्मती है कि सबसे ज्यादा पूछे जाने वाला सवाल वो है, जिसमें दोनों, निश्चित समय और रकम भी नियत होती है। यही नहीं, कई बार तो एसेट क्लास भी तय कर दी जाती है, जैसे- मैं हर महीने 30 हजार रुपये निवेश कर सकता हूं और चाहता हूं कि ये निवेश 10 साल में एक करोड़ रुपये करोड़ हो जाए। इस परिस्थिति में पूरा सवाल किसी विक्रम-बेताल की दंतकथा में बदल जाता है। इसका कोई सही जवाब नहीं क्योंकि इस समीकरण में ऐसी वैल्यू क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए भर दी जाती हैं, जिनका कोई व्यावहारिक समाधान नहीं हो सकता है।
ज्यादातर केस में 'एक करोड़' सिर्फ एक पर्यायवाची है, 'खूब सारे पैसे' का। हालांकि, केवल निवेश विकल्प के अलावा, पूणरंकों का ये मोह अपने-आप में कहीं बड़ी समस्या छुपाए बैठा है, और ये है महंगाई की गणना नहीं करना। आज अचानक, पूरी दुनिया में महंगाई की स्थिति है और यही सही वक्त है कि आपके भविष्य को नुकसान पहुंचाने की महंगाई की क्षमता का आकलन किया जाए।
पर मुश्किल ये है कि लोग नामिनल टर्म (नाममात्र की अवधि) में सोचते हैं और महंगाई का भविष्य में क्या असर होगा, ये पूरी तरह समझना काफी मुश्किल है। इसका सही हल है कि हम (यानी दुनिया) एक कम-महंगाई दर वाली अर्थव्यवस्था बनें। मगर लगता है कि कम-महंगाई दर वाली दुनिया हमारे एजेंडे पर नहीं है। इसलिए बचत करने वालों को महंगाई हमेशा एडजस्ट कर लेनी चाहिए। अगर आपको एक करोड़ रुपये ऐसी रकम लगती है जिसे आप बीस साल बाद पाना चाहेंगे, तो असल में आपको करीब चार करोड़ रुपये चाहिए होंगे। अगर आप इस अंतिम आंकड़े के आधार पर गणना करते हैं, तो आपको हर महीने करीब 68 हजार रुपये की बचत करनी होगी, वो भी जब रिटर्न का औसत आठ प्रतिशत पर रहे। ये हतोत्साहित करने वाली रकम है, मगर ये ऐसा ही है। इसके गणित से आप पीछा क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए नहीं छुड़ा सकते।
आपको लंबे समय के दौरान ऐसा निवेश चाहिए जो महंगाई को एडजस्ट करता हो। इक्विटी में रिस्क है। ये बात हर निवेशक के दिमाग में भर दी गई है। हालांकि, महंगाई उससे कहीं ज्यादा रिस्की है। इसलिए महंगाई की बराबरी करने और उससे बढ़कर असल में रिटर्न पाने के लिए, आपको किसी ऐसी चीज को थामना ही होगा, जो महंगाई दर से ऊपर रहे। ये मुश्किल भी नहीं है, क्योंकि मूल रूप से अर्थव्यवस्था में गुड्स, सर्विसेज और एसेट महंगाई से लिंक होते हैं। इसलिए चाहे रिस्की हो, या न हो, इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं है।
महंगाई का सबसे घातक सच है कि यह गरीबों से छीन कर अमीरों को देती है। या कहें, ये उनसे ले लेती है जिनकी आमदनी फिक्स है और उन्हें फायदा देती है, जिनके पास प्रोडक्टिव एसेट हैं। अगर महंगाई का वक्त आ रहा है, तो आपको प्रोडक्टिव एसेट की जरूरत है। इससे आसान और कुछ नहीं है कि आप इक्विटी में और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें।
नोट- यह लेखक धीरेंद्र कुमार, सीईओ, वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के निजी विचार हैं।
क्या मुझे एलआईसी (LIC), एसआईपी (SIP) या म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए?
जब बात निवेश की आती है, तो निवेशकों की पसंद काफ़ी निराश करने वाली होती है। इसके विकल्प तो अनेकों हैं जो विभिन्न तरह के निवेश की अपेक्षाओं को पूरा करते हैं जो निवेशकों के पास हैं। सबसे लोकप्रिय निवेश के विकल्पों में निवेशक अक्सर एलआईसी, एसआईपी और म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर भ्रम की स्थिति में होते हैं। क्या आप भी अपने ग्राहकों को इन तीनों में सर्वश्रेष्ठ विकल्पों के चयन को लेकर भ्रम में पाते हैं?
एलआईसी (LIC), एसआईपी (SIP) और क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए म्यूचुअल फंड में अंतर
सबसे पहले, एलआईसी एसआईपी और म्यूचुअल फंड निवेश से पूरी तरह से अलग निवेश है। एलआईसी, मूल रूप से, जीवन इंश्योरेंस पॉलिसियों में निवेश कर रहा है। जब जीवन इंश्योरेंस की बात आती है, तो कोई समानांतर निवेश नहीं हो सकता है जो जीवन इंश्योरेंस पॉलिसियों द्वारा प्रदान किए गए लाभ देता है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों के महत्व को निम्नलिखित पॉइंट्स के द्वारा समझा जा सकता है –
- टर्म इंश्योरेंस प्लान घर के मुखिया की असामयिक मृत्यु के मामले में परिवार के लिए एक पर्याप्त वित्तीय कोष (फाईनेंशियल फंड) बनाने में मदद करते हैं
- चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान सुरक्षा प्रदान करता है कि भले ही माता-पिता आसपास न हों, बच्चे के भविष्य के लिए वित्तीय कोष (प्लान फाईनेंशियल फंड) बनाया जाएगा
- पेंशन प्लान एक व्यक्ति के सेवानिवृत्त (रिटायरमेंट प्लान) है जो वार्षिक भुगतान के द्वारा सुरक्षित सेवानिवृत्ति रिटायरमेंट का प्लान बनाता है
इसलिए, इंश्योरेंस प्लान लोगों को फाईनेंशियल इमरजेंसी का सामना करने के लिए वित्तीय सुरक्षा (फाईनेंशियल सिक्योरिटी) देते हैं। इसके अलावा ऐसे कौन से अन्य निवेश हैं?
इसके अलावा, यदि आपके ग्राहक इंश्योरेंस कवर के साथ रिटर्न की तलाश कर रहे हैं, तो उनके लिए दो प्रकार के प्लान हैं जो इस तरह की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। य़े हैं –
- इंडोमेंट प्लान जो मैच्युरीटी या डेथ पर गारंटेड राशि देते हैं। इस प्रकार, ये प्लान निश्चित आय के रास्ते की तलाश करने वालों के लिए सबसे उपयुक्त हैं
- यूनिट-लिंक्ड प्लान जो इंश्योरेंस कवरेज और मार्केट लिंक्ड रिटर्न के लाभ को जोड़ती हैं। इसलिए, ये प्लान उन निवेशकों के लिए हैं जो अपने निवेश में जोखिम लेकर पैसा कमाना चाहते हैं।
इंश्योरेंस के महत्व को देखते हुए इसके निवेश को किसी अन्य तरीके के निवेश से तौला नहीं जा सकता है। फाईनेंशियल प्लान बनाते समय, आपके ग्राहकों को पहले फाईनेंशियल सिक्योरिटी का लाभ उठाने के लिए लाइफ इंश्योरेंस में निवेश करना चाहिए और फिर रिटर्न जेनरेट करने और धन कमाने के लिए अन्य विकल्प तलाशने चाहिए।
एसआईपी (SIP) और म्यूचुअल फंड – कौन सा बेहतर है?
एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश का एक तरीका है। यदि आपके ग्राहक नियमित क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए मासिक निवेश (रेगुलर मंथली इन्वेस्टमेंट) के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो वे एसआईपी के माध्यम से निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं। एसआईपी हर महीने एक चुने हुए म्यूचुअल फंड में एक निश्चित राशि का निवेश करती हैं। तो, मूल रूप से, एक एसआईपी और म्यूचुअल फंड के बीच कोई अंतर नहीं है। जबकि म्यूचुअल फंड निवेश के लिए एक फंड है, जबकि एसआईपी निवेश का एक तरीका है। एक म्यूचुअल फंड में मासिक निवेश (मंथली इन्वेस्टमेंट) के माध्यम से एसआईपी या एकमुश्त (वन टाइम इन्वेस्टमेंट) निवेश कर सकते हैं। हालांकि, एसआईपी निवेश बेहतर हैं क्योंकि –
- वे कम से कम रूपये 500 प्रति माह जितने सस्ते हैं
- वे सिस्टमेटिक तरीके से लोगों को छोटी मात्रा में बचत करने की अनुमति देते हैं
- वे इन्वेस्टर्स को रुपये की लागत का औसत लाभ देते हैं और निवेशकों को शेयर बाजार के झंझटों से मुक्त कर दिया जाता है
- प्रत्येक माह के निवेश पर मिलने वाला लाभ, लंबी अवधि में पर्याप्त धनराशि का जमा कर देता हैं।
हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, निवेशक को उपलब्ध म्यूचुअल फंड के प्रकार को समझना चाहिए। बाज़ार में विभिन्न प्रकार के (इक्विटी ओरिएंटेड फंड और डेट ओरिएंटेड फंड) म्यूचुअल फंड उपलब्ध हैं। इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड वे हैं जो इक्विटी और इक्विटी-लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स में अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 65% निवेश करते हैं। इसलिए, वे बाजार में उतार-चढ़ाव से प्रभावित रहते हैं, साथ ही ये फंड उच्च जोखिम उठाते हैं और आकर्षक रिटर्न भी देते हैं। दूसरी ओर डेट-ओरिएंटेड फंड्स, फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। इसलिए, वे कम जोखिम उठाते हैं, इसलिए, बाजार की अस्थिरता से प्रभावित नहीं होते हैं और कम रिटर्न देते हैं।
एलआईसी (LIC), एसआईपी (SIP) और म्यूचुअल फंड – बॉटम लाइन
जब आपके ग्राहक आपसे सलाह देने के लिए कहेंगे कि कौन सा म्यूचुअल फंड बेहतर है, तो एक बात निश्चित है। लाइफ इंश्योरेंस प्लान में निवेश करके फाईनेंशियल सिक्योरिटी के लिए उन्हें पहले सलाह दें, और फिर वे अपने निवेश इन्वेस्टमेंट का प्लान बना सकते हैं। एक बार जब उनके पास फाईनेंशियल सिक्योरिटी होती है, तो वे अपने जोखिम की गणना के आधार पर विभिन्न म्यूचुअल फंड प्लान में इन्वेस्टमेंट का प्लान बना सकते हैं। यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान को भी एक उपयुक्त माना जा सकता है क्योंकि वे निवेश के साथ इंश्योरेंस प्रदान करते हैं जैसे कि म्यूचुअल फंड। हालांकि, वे म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो एसआईपी सबसे अच्छा विकल्प है। वे हर महीने निवेश करने के लिए सस्ती राशि का चयन कर सकते हैं और लगातार अच्छी राशि जमा कर सकते हैं। इसलिए, फाईनेंशियल सिक्योरिटी और फिर निवेश आदर्श तरीका होना चाहिए।
अपने निवेश को म्युचुअल फंड से कब निकालें?
"वाह, मेरे पैसे तीन महीने में ही 20% बद्ध गए, मुझे इनकी बचत कर लेनी चाहिए! या " नहीं, अरे एक महीने पहले ही जो पैसा मैंने निवेश किया था, वो नेगेटिव रिटर्न दिखा रहा है! पैसा निवेश करने वाले हर व्यक्ति के दिमाग में ये सवाल चलते रहते हैं।
"वाह, मेरे पैसे तीन महीने में ही 20% क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए बद्ध गए, मुझे इनकी बचत कर लेनी चाहिए! या " नहीं, अरे एक महीने पहले ही जो पैसा मैंने निवेश किया था, वो नेगेटिव रिटर्न दिखा रहा है! पैसा निवेश करने वाले हर व्यक्ति के दिमाग में ये सवाल चलते रहते हैं।
जब भी हम अपने निवेश किए गए पैसे को बढ़ते या घटते हुए देखते हैं तो हम उस बढ़े हुए पैसे को खोने के डर से बचाना चाहते हैं (कहीं आगे चलकर नुकसान ना हो जाए) या निवेश किए गए पैसे को बचाना चाहते हैं (ताकि और ज्यादा नुकसान ना हो)।
तो क्या इसका मतलब है कि जब भी आप निवेश किए गए पैसे में जरा सा उतार-चढ़ाव देखें तो क्या तभी आपको अपना पैसा निकाल लेना चाहिए?
सही माने तो एक्वटी म्युचुअल फण्ड में इन्वेस्ट की गयी राशि को जरा सा कम या ज्यादा होने पर निकालने के बारे में सोचना सही नहीं है। इसमें जितनी देर तक आपका पैसा रहेगा, उतना ज़्यादा ही आपके पास धन वापसी या रिटर्न का मौका होता है। तो आपको कब अपना पैसा वापस निकालना चाहिए?
आपातकालीन स्थिति में
हमेशा आपातकालीन स्थिति के लिए अलग से पैसा बचा कर रखने की कोशिश करें ताकि किसी भी मुसीबत में आपके शॉर्ट टर्म या लोंग टर्म निवेश को आपको ना निकालना पड़े। अगर आपने आपातकालीन फ़ंड नहीं बनाया है तो किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में आपको अपनी एक्वटी म्युचुअल फंड में निवेश की गई राशि को निकालना पड़ सकता है।
एक नियोजित खर्चे के लिए
जितनी धनराशि बचत करने के बारे में आपने सोचा है अगर आप उस सीमा तक पहुंच जाएँ तो आप निश्चित तौर पर नई कार या किसी छुट्टी पर जाने के लिए पैसा निकाल सकते हैं।
पर ऐसे खर्चे के लिए भी समय से पहले पैसा ना निकालें। ध्यान रहे आजकल आपके निवेश किए गए पैसे को निकलवाने के समय आपके बैंक खाते में जमा होने में कुछ दिन लगते हैं। इसलिए हमेशा उसी समय पैसा निकालें जब आपको किसी भी चीज के लिए पे करना हो।
दीर्घकालीन लक्ष्य के अंत तक पहुंचने पर
जैसे कि अगर आप अपने बच्चे के कॉलेज जाने के लिए पिछले 15 साल से पैसा जमा कर रहे हैं तो उसके कॉलेज जाने से लगभग 5 साल पहले आपको अपनी जमा धनराशि को बाजार की अस्थिरता से बचाने के लिए लंबी अवधि की श्रेणी (इक्विटी फंड) से शॉर्ट टर्म (डेट फंड) में बदल देना चाहिए।
लगातार खराब नतीजा
अगर आपको पैसा निवेश किए थोड़ा समय हुआ है और आपको ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है तो थोड़ा इंतजार करें। पर अगर आपका निवेश किया गया पैसा बहुत लंबे समय, जैसे कि 2-3 साल, से किसी भी तरह का फायदा नहीं दे रहा है तो बेहतर है कि आप इसे किसी और फण्ड में निवेश करें।
टैक्स को हमेशा ध्यान में रखें
जब भी आप म्युचुअल फण्ड में निवेश किया गया पैसा निकालते हैं तो ध्यान रखें कि आपको जितनी भी धनराशि का लाभ होता है उस पर टैक्स देना होता है।
केवल आपातकालीन स्थिति को छोड़ कर, हमेशा अपनी लाभ राशि पर लगने वाले टैक्स के बारे में जानकारी रखें।
Mutual Fund Investment Tips: म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट के लिए करें स्मार्ट प्लानिंग ! केवल निवेश करना ही काफी नहीं
Mutual Fund Investment Tips: यह तो सभी को पता है की Mutual Fund इन्वेस्टमेंट, हर तरह से सहीं है. धीरे-धीरे यह लोगों का पसंदीदा इन्वेस्टमेंट विकल्प बनता जा रहा है. परन्तु क्या आप किसी के कहने पे, या कहीं से देख सुनकर म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं, सावधान ! यह पूरी तरह सहीं है कि म्यूचुअल फंड बढ़िया है.
परन्तु म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार अलग-अलग तरह के इन्वेस्टमेंट के नजरिये से बढ़िया है. म्यूचुअल फंड में निवेश के Smart प्लानिंग करें और अपने लिए वह चुने जो बेहतर हो. यहाँ हमने Mutual Fund Investment Tips को साँझा किया है जिसके जरिये आप अपने लिए एक बेहतर फंड का चुनाव कर सकते हैं.
Mutual Fund: हालांकि म्यूचुअल जोखिमों के अधीन है परन्तु, ऐसा नहीं है की आप किसी भी फंड को चुन कर अच्छा रिटर्न नहीं बना सकते, लगभग सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड अच्छा रिटर्न देने में कारगर हैं. परन्तु एक Smart Investment वह है जिसमे म्यूचुअल फंड के रिटर्न प्रतिशत, जोखिम रेशियो, और निवेश समयावधि की पहचान की जाये.
इक्विटी फंड – Equity Funds
लम्बे समय के निवेश के लिए Equity Funds को सबसे बढ़िया माना जाता है. इक्विटी म्यूचुअल फंड में 65 प्रतिशत निवेश शेयरों में होता है हालांकि इसे 100% बढ़ाया जा सकता क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए है.
चूँकि यहाँ अधिकांश निवेश शेयरों में हो रहा है और शेयर बाजार में आय दिन उतार-चढाव होते रहते हैं, नतीजतन यह अत्यधिक जोखिम से भरा हुआ है साथ ही इसमें अधिक रिटर्न भी प्राप्त किया जा सकता है. लम्बे समय के निवेश में यहाँ से भारी रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है.
इक्विटी फंड की खासियत – इक्विटी फंड के विषय में यह सबसे बढ़िया है कि महगाई को मात देने की क्षमता इस फंड में है.
इक्विटी फंड निवेश कितने समय के लिए – जैसा की हमने बताया लम्बे समय के निवेश में इस फंड से बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है. जैसे-जैसे समय बढ़ता है इस फंड में रिस्क कम होते जाते हैं. इस फंड में मिनिमम 3 साल के समयावधि के लिए निवेश करना चाहिए
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम – ELSS
जैसा की नाम से पता चल रहा है इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) म्यूचुअल फंड ऐसा फंड है जिसमें निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. परन्तु इस फंड में 3 साल की लॉक इन पीरियड होता है इस बीच आप अपने निवेश राशि नहीं निकाल सकते, इसके अलावा यह फंड पूरी तरह से इक्विटी फंड जैसा बर्ताव करता है.
डेट फंड – Debt Funds
इस फंड में फिक्स इनकम सिक्योरिटी प्राप्त किया जाता है, Debt फंड के माध्यम से – बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, गर्वनमेंट सिक्योरिटी, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि चीजों में इन्वेस्ट किया जाता है. यहाँ रिस्क नहीं होता परन्तु इक्विटी की तुलना में रिटर्न भी बहुत कम होता है.
Debt Funds की खासियत – जो किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहता है उनके लिए यह सबसे बेस्ट म्यूचुअल फंड है.
Debt Funds में निवेश की समयावधि – चूँकि इस फंड के विभिन्न प्रकार है अलग-अलग फंड में निवेश की समयावधि अलग-अलग है, 1 साल से 3 साल की समयवधी के लिए इस फंड में पैसे लगाना बढ़िया होगा
लिक्विड फंड – Liquid Funds
चुकी इसे कभी भी निकाला जा सकता है इसलिए इसका नाम लिक्विड फंड है. लिक्विड फंड को डेट फंड श्रेणी के अंतर्गत लिया जाता है. 60 दिनों के निवेश अवधि के लिए इसे एक आदर्श फंड माना जाता है. से फंड का नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) शनिवार और रविवार को भी निर्धारित किया जाता है. इसलिए छुट्टी के समय में भी इस फंड की निकासी सम्भव है.
हाइब्रिड फंड – Hybrid Funds
हाइब्रिड फंड भी निवेश के लिए एक बढ़िया विकल्प है. चूँकि इस फंड में डेट फंड और इक्विटी फंड दोनों में निवेश किया जाता है इसलिए यह बढ़िया परफॉर्म करता है. इस फंड में लगाए गए पैसे तेजी से ग्रो करते हैं.
चूँकि इस फंड में इक्विटी और डेट दोनों में निवेश किया जाता है. डेट फंड में आपका रिटर्न फिक्स हो जाता है और किसी प्रकार की जोखिम नहीं होती, वहीँ कुछ हिस्से जो इक्विटी में लगाए जाते हैं, मार्केट के उतार-चढाव पे आपके निवेश को तेजी से बढ़ाने का काम करते हैं.
हाइब्रिड फंड में निवेश क्यों करें – क्योंकि यह फंड अन्य फंड की तुलना में बेस्ट है यहाँ इक्विटी और डेट दोनों का फायदा उठाया जा सकता है.
₹500 से एक करोड़ तक का सफर | What is Mutual Fund in Hindi | 3 मिनट में
लम्बे समय में, इक्विटी स्कीम में औसतन लगभग 12%, का रिटर्न (लाभ) मिलता है। अगर आप अगले 30 साल तक हर महीने ₹3000 म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करते हैं तो 12% रिटर्न (लाभ) की दर से आपका पैसा (₹1,00,00,000) 1 करोड़ रुपये हो जाएगा।
किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए आपको कितना धन चाहिए?
हालाँकि, आप न्यूनतम 500 रु. से निवेश करना शुरू सकते हैं। आप अगले 30 साल तक हर महीने ₹500 म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो 12% रिटर्न की दर से आपका पैसा 17,64,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सही समय क्या है?
विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि बाज़ार में निवेश करने के लिए सही समय का इंतेज़ार करने के बजाए बाज़ार में निवेश करना ज़्यादा बेहतर है। बाज़ार सुधार की प्रतीक्षा न करें क्योंकि इस प्रतीक्षा की कोई निश्चित अवधि नहीं है। आपका लक्ष्य क्या है और बिना देरी किए निवेश करें।
म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते हैं ?
मुख्य रूप से म्यूच्यूअल फंड 3 प्रकार के होते हैं। 1- इक्विटी फंड, 2- डेट फंड, 3-हाइब्रिड फंड
म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश कैसे करें
INDmoney एप्लीकेशन द्वारा, आजकल म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश करने के लिए बाजार में बहुत सारे एप्लीकेशन हैं। लेकिन मेरा पर्सनल फेवरेट INDmoney एप्लीकेशन हैं, जो यूजर फ्रेंडली है और इस प्लेटफार्म पर 0% कमीशन फीस है। – मतलब सब कुछ फ्री।
आज आप ने क्या सीखा?
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने म्यूच्यूअल फंड क्या है यह कितने प्रकार का होता है और म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने का सबसे बढ़िया माध्यम या एप्लीकेशन कौन सा है।
मुख्य रूप से इन चीजों के बारे में सीखा।
हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी।
अगर म्यूच्यूअल फण्ड की जानकारी से सम्बंधित कोई समस्या है या जानकारी चाहिए तो कमेंट बॉक्स में लिखें ताकि हम समय रहते आपकी मदद करने की कोशिश कर सकें।
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