Consumer Price Index – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक: परिभाषा, प्रकार, मापन
Consumer Price Index-CPI – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एक व्यापक उपाय है जिसका उपयोग वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य के माप के लिए एक सूचकांक है. जिसकी गणना सामानों एवं सेवाओं (goods and services) के एक मानक समूह के औसत मूल्य की गणना करके की जाती है. आमतौर पर इसका उपयोग अर्थव्यवस्था में खुदरा मुद्रास्फीति को मापने के लिए किया जाता है.
- Bank Test Pack Online Test Series (12 Months)
CPI की मदद से मुद्रास्फीति की गणना करने के लिए एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. goods and services की कई विभिन्न श्रेणियों और उपश्रेणियों का उपयोग वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, CPI ग्रामीण या शहरी जैसे उपभोक्ता श्रेणियों के आधार को भी ध्यान में रखता है. और फिर, अंतिम आंकड़ों के आधार पर, राष्ट्रीय सांख्यिकीय एजेंसियां मूल्य के समग्र सूचकांक को जारी करती हैं. सीधे शब्दों में कहें तो सीपीआई हमें जीवन यापन की लागत का अनुमान लगाने में मदद करता है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)
- यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है।
- यह चयनित वस्तुओं और सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को मापता है, जिस पर एक परिभाषित समूह के उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं।
- CPI के चार प्रकार निम्नलिखित हैं:
1. औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers-IW) के लिये CPI
2. कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer-AL) के लिये CPI
3. ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer-RL) के लिये CPI
4. CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
Statistics and Program Implementation मंत्रालय CPI (UNME) के लिए डेटा एकत्र और संकलित करता है , जबकि श्रम मंत्रालय में श्रम ब्यूरो अन्य तीनों के लिए भी यही करता है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के प्रभाव
- यह एक व्यक्ति के रहने की लागत को बढ़ाता है
- यदि मुद्रास्फीति की दर अधिक है, तो यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. जब माल की लागत अधिक होती है, तो इन वस्तुओं का उत्पादन कम हो जाता है.
CPI मुद्रा स्फीति में वर्तमान परिवर्तन
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा कि पिछले कुछ महीनों में सीपीआई मुद्रास्फीति, जो कि पिछले कुछ महीनों में बढ़ी है, वित्तीय वर्ष के दौरान सबसे अधिक नरम हो जाएगी. रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2020- 21 में पहली तिमाही में 4.8%, दूसरी तिमाही में 4.4%, तीसरी तिमाही में 2.7% तथा चौथी तिमाही में 2.4% तक कम होने का अनुमान है . RBI ने कहा कि अनुमानित और सुगमता के कारण मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, जबकि आपूर्ति में रूकावट की वजह से अपेक्षा से अधिक दबाव बढ़ सकता हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा, आगे की ओर देखें तो मुद्रास्फीति के जोखिम का संतुलन नीचे की ओर भी धीमा है.
लॉकडाउन के चलते मार्च तथा आगामी कुछ महीनों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI ) का संकलन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. COVID-19 से स्थिति बिगड़ रही है, जिससे वृहद आर्थिक प्रभाव डालने के कारण वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से 2020 में भारतीय रुपए पर दबाव बढ़ सकता है. COVID-19 के बढ़ते खतरे और मौजूदा लॉकडाउन के समय उच्च अनिश्चितता की स्थिति वर्तमान प्रत्याशित मांग तथा ‘कोर मुद्रास्फीति’ में कमी ला सकती है. जन की कीमतों, और अन्य चीजों में गिरावट के साथ, भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2021 के लिए मुद्रास्फीति 3.6 से 3.8% के बीच गिर सकती है
यह भी देखें –
- PMUY – प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना | ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लिंक
- ऐसे improve करें Spoken English and Writing skills
- Google ने भी किया corona fighters को सलाम, doodle series
बावजूद, मुद्रास्फीति पर प्रभाव, विशेष रूप से CPI मुद्रास्फीति, का प्रभाव काफी अस्पष्ट है. अगर कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी हो जाती है, तो देश की व्यापार की शर्तों में सुधार होने की सम्भावना है, लेकिन इस चैनल से होने वाले लाभ से मांग के नुकसान की भरपाई की उम्मीद नहीं है.
इसके अलावा, COVID-19 दुनिया भर के 200 से अधिक देशों में तेजी से फैल रहा है, वैश्विक अर्थव्यवस्था 2020 में आसन्न मंदी की ओर जा रही है, जबकि इससे पहले वर्ष में 2.9% की वृद्धि हुई थी.
क्या आपको भी आता है दांत टूटने का सपना? जानें इसके संकेत
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ संकेतक किसके लिए हैं है कि आपने सपने में अपना दांत टूटते हुए देखा हो और आप चौंककर अचानक से उठा गए हों? क्या इस तरह का सपना सच में ऐसे संकेत देता है कि आपको वास्तव में अपने दांतों की केयर करने की जरूरत है?
क्या ये किसी अनहोनी का संकेत हो सकता है? क्या ये आपके लिए किसी बीमारी की ओर इशारा करता है? ऐसे न जाने कितने सवाल आपके मस्तिष्क में आते होंगे जब बाप दांत टूटने का सपना देखते हैं।
आइए जानें इस तरह का सपना किस बात की ओर इशारा करता है और ये आपके भविष्य के लिए क्या संकेत हो सकता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया से जानें इस तरह के सपने के असल जिंदगी में मिलने वाले संकेतों के बारे में।
सपने में दांत गिरना आपके विकास का संकेत
दांत अक्सर जीवन में आगे बढ़ने का प्रतीक माने जाते हैं। ये जीवन में बड़े होने का प्रतीक होते हैं। ऐसा कोई भी सपना यह संकेत देता है कि आपको आने वाले जीवन में नए अवसर मिलेंगे और आप उन अवसरों को लेते हुए आगे बढ़ेंगे। आप यदि अवसरों का सही फायदा उठाएंगे तो आपको इसका लाभ जरूर मिलेगा और आपका जीवन सफल होगा।
सपने में दांत गिरना नई ताकत का संकेत
वास्तविकता में जब पुराना दांत टूटता है तो एक नया दांत निकलता है। इसलिए यदि आप सपने में दांत टूटते हुए देखते हैं तो ये आपके लिए एक नई ऊर्जा का संकेत देता है। सपने में दांतों को शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।
अगर आपको यह सपना आता है तो यह आपकी व्यक्तिगत ताकत से संबंधित हो सकता है। यह अंततः आपके परिवेश या दूसरों पर अधिक नियंत्रण प्राप्त करने या किसी व्यावसायिक स्थिति या व्यक्तिगत संबंध में आपके आत्मविश्वास के स्तर में वृद्धि का प्रतिनिधित्व कर सकता है। (सपने में ऊंचाई से गिरने का मतलब )
सपने में दांत टूटना असुरक्षित होने का संकेत
कई बार दांतों का गिरना नुकसान और महत्वपूर्ण जीवन परिवर्तनों से जुड़ा होता है। यह सपना संकेत दे सकता है कि आप किसी प्रकार के नुकसान में आने वाले हैं जैसे किसी रिश्ते का टूटना, नौकरी में बदलाव या नौकरी छूटना जैसे नकारात्मक संकेत मिल सकते हैं।
यह सपना तब भी आ सकता है जब आप किसी निर्णय का सामना कर रहे हों, लेकिन विकल्पों से संतुष्ट न हों। आप अपने करियर के लिए भी दोराहे पर खड़े हो सकते हैं या धन से संबंधित कोई गलत निर्णय ले सकते हैं।
सपने में दांत टूटना तनाव का संकेत
तनाव, चाहे काम से संबंधित हो या घर से, जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। हालांकि, अनियंत्रित तनाव शारीरिक प्रतिक्रिया में विकसित हो सकता है। यदि आप सामान्य से अधिक तनाव में हैं तो आपको दांत गिरने के सपने निश्चित रूप से दिखाई दे सकते हैं। यह वास्तव में इस ओर इशारा करता है कि आपको तनाव कम करने की जरूरत है और आगे बढ़ने के बारे में सोचने की भी आवश्यकता है।
किसी और के दांत टूटने का संकेत हो सकता है
दांत गिरने के बारे में सपने जरूरी नहीं कि आपके दांतों के लिए ही हों। ये आपके आस-पास किसी और व्यक्ति के लिए भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि यह सपना आपके ही बच्चे के पुराने दांत के टूटने और नए दांत निकलने की ओर इशारा करता हो।
सपने में धीरे-धीरे सभी दांतों का टूटना
अगर आप ऐसा कोई सपना देखते हैं जिसमें एक-एक करके सभी दांत टूट रहे हों तो ये इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके जीवन में एक-एक करके कुछ ऐसे बदलाव आने वाले हैं जो आपके भावी जीवन के लिए अच्छे हो सकते हैं।
सपने में दांत टूटना कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक संकेत दे सकता है, लेकिन किसी भी सपने से घबराएं नहीं बल्कि अपने काम पर ध्यान देना जरूरी है।
Related Stories
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी संकेतक किसके लिए हैं रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
यूएनडीपी की मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट, नॉर्वे इस वर्ष भी सबसे ऊपर
मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट सभी देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के स्तर का आकलन कर तैयार की जाती है.
यूएनडीपी की मानव विकास सूचकाँक रिपोर्ट, नॉर्वे इस वर्ष भी सबसे ऊपर
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अपनी सालाना मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) रिपोर्ट जारी की है. पिछले साल की तरह इस बार भी इस सूची में नॉर्वे सबसे ऊपर रहा और उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड को जगह मिली.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में 189 देशों में मानव विकास सूचकांक (HDI) की सूची में भारत 131वें स्थान पर रहा, वहीं भूटान 129वें स्थान पर, बांग्लादेश 133वें स्थान पर, नेपाल 142वें स्थान पर और पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहा.
PHDI को शामिल करने के बाद, 50 से अधिक देश ‘उच्च मानव विकास समूह’ से बाहर हो गए, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे जीवाश्म ईंधन और भौतिक पदचिह्न पर अत्यधिक निर्भर हैं.
भारत की राजधानी दिल्ली में, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के नज़रिये से ये रिपोर्ट जारी किये जाने के समय, भारत में यूएनडीपी की देश प्रतिनिधि, शोको नोडा ने कहा, “यह रिपोर्ट एकदम सही समय पर आई है. पिछले सप्ताह ही, जलवायु महत्वाकाँक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें शामिल देशों ने अपने कार्बन-पदचिन्ह घटाने के लिये प्रतिबद्धताएँ ज़ाहिर की हैं."
"अगर हम साथ मिलकर काम करें तो पृथ्वी को नष्ट किए बिना, प्रत्येक राष्ट्र के लिये मानव विकास में वृद्धि सम्भव है – यानि लम्बी आयु, अधिक शिक्षा और उच्च जीवन स्तर. ”
भारत सरकार में नीति आयोग के सदस्य, रमेश चन्द ने कहा, “इस वर्ष की रिपोर्ट एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उजागर कर रही है, जो लम्बे समय से चिन्ता का विषय है. मानव विकास की व्याख्या के सन्दर्भ में ये बात सामने आ रही है – कि आख़िर हम अपनी भावी पीढ़ी को कितना वंचित कर रहे हैं. रिपोर्ट में ऐसे समाधान प्रस्तुत किये गए हैं, जिनसे उत्सर्जन में 37% की कमी आएगी और इससे हमें जलवायु लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.”
प्रगति का नया स्वरूप
रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि जैसे-जैसे लोग और पृथ्वी ग्रह एक नए भूवैज्ञानिक युग, एंथ्रोपोसीन यानि मानव युग में प्रवेश कर रहे हैं, सभी देशों को प्रगति के अपने मार्गों को नया स्वरूप देना होगा. यह पूरी तरह से मनुष्यों द्वारा ग्रह पर बनायेएदबावों की जवाबदेही तय करके और बदलाव की राह में आने वाले शक्ति और अवसर के असन्तुलन को ख़त्म करके किया जा सकता है.
कोविड-19 महामारी दुनिया के सामने नवीनतम संकट है, लेकिन अगर मानव प्रकृति पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ता, तो शायद यह अन्तिम संकट न हो.
समुद्र के स्तर में वृद्धि से ख़तरे के दायरे में आने वाले अधिकाँश लोग विकासशील देशों और विशेष रूप से एशिया और प्रशान्त में रहते हैं. पर्यावरणीय झटके पहले से ही दुनियाभर में जबरन विस्थापन का एक मुख्य कारण हैं, ऐसे में अनुमान यह है कि वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 1 अरब से अधिक लोग विस्थापन का सामना कर सकते हैं.
समाधान तन्त्र
मानव विकास रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि सार्वजनिक कार्रवाई से इन असमानताओं का निदान सम्भव है – उदाहरण के लिये, इसमें प्रगतिशील कराधान और निवारक निवेश और बीमा के माध्यम से तटीय समुदायों की रक्षा करना शामिल है.
यह एक ऐसा क़दम है, जो दुनिया में समुद्र तटों पर रहने वाले 84 करोड़ लोगों के जीवन की रक्षा कर सकता है. लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिये ठोस प्रयासों की ज़रूरत है, ताकि यह कार्रवाई मानव को पृथ्वी के ख़िलाफ़ न खड़ा कर दे.
भारत में संयुक्त राष्ट्र की देश प्रतिनिधि व संयोजक, रेनाटा डेज़ालिएन ने कहा, “मानव विकास सूचकाँक न केवल हमारी प्रगति दर्शाता है, बल्कि उन क्षेत्रों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, जिन पर अधिक ध्यान देने और जिन्हें अधिक संसाधन व हिमायत की ज़रूरत है.”
“जलवायु परिवर्तन स्पष्ट रूप से हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर उभर रहा है, और इस वर्ष का मानव विकास सूचकाँक इसी बात पर केन्द्रित है कि मानव विकास जलवायु संकट से कैसे जुड़ा है."
"यह संयोजन हमें अपनी जीवन शैली, व्यवहार और निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिये मजबूर करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह युग हमें गर्त में न ढकेल दे. यह दुनिया भर के देशों के उदाहरण प्रस्तुत करता है कि हममें से प्रत्येक उनसे कैसे प्रेरणा ले सकते हैं.”
रिपोर्ट के आधार पर, यूएनडीपी-भारत ने विकास के जटिल मुद्दे के प्रबन्धन के लिये प्रकृति, प्रोत्साहन और सामाजिक मानदण्डों के तीन स्तम्भों के आधार पर क्षेत्र के लिये समाधान तन्त्र प्रस्तावित किया है.
इनमें से कुछ हैं - तटीय झाड़ियों का संरक्षण, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन और एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग घटाना. रिपोर्ट में राष्ट्रीय सौर मिशन और भारत द्वारा अपनाए गए महत्वाकाँक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का भी उल्लेख है.
रिपोर्ट के मुताबिक, मानव विकास के अगले मोर्चे में, सामाजिक विकास, मूल्यों और वित्तीय प्रोत्साहनों में आवश्यक बदलाव लाते हुए, प्रकृति के ख़िलाफ़ न जाकर, प्रकृति के साथ सुलह में काम करने की आवश्यकता होगी.
क्या मध्य प्रदेश के बासमती को मिलेगा GI टैग? सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से फिर जगी उम्मीद
जस्टिस एल नागेश्वरन राव, बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि इन मामलों में शामिल मुद्दों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना हम हाईकोर्ट के 27 फरवरी, 2020 के फैसले को रद्द करते हैं और मामले को कानून के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा नए सिरे से विचार करने के लिए वापस भेजते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से मध्य प्रदेश के बासमती को जीआई टैग मिलने की उम्मीद फिर से जग गई है. राज्य एक दशक से अधिक समय से मध्य प्रदेश के 13 जिलों में उगाए जाने वाले बासमती के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की कोशिश में लगा है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले से मध्य प्रदेश के बासमती को जीआई टैग मिलने का रास्ता एक बार फिर खुल गया है.दरअसल, मध्य प्रदेश ने राज्य में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग प्रदान करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हालांकि इसे हाईकोर्ट ने 27 फरवरी, 2020 को खारिज कर दिया था.
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बीते 2 सितंबर को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर पुनर्विचार करे.
द हिन्दू बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक, जस्टिस एल नागेश्वरन राव, बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि इन मामलों में शामिल मुद्दों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना हम हाईकोर्ट के 27 फरवरी, 2020 के फैसले को रद्द करते हैं और मामले को संकेतक किसके लिए हैं कानून के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा नए सिरे से विचार करने के लिए वापस भेजते हैं.
क्या है यह पूरा मामला?
मई, 2010 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में उगाए जाने वाले बासमती को जीआई टैग मिला था. तभी मध्य प्रदेश ने राज्य के 13 जिलों में उगाए जाने वाले बासमती को जीआई टैग देने की मांग की थी. लेकिन हर बार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) ने इसका विरोध किया.
एपीडा के बार-बार खिलाफत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने चेन्नई में भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्रार के यहां अपील दायर की थी और 2013 में इसने मध्य प्रदेश के पक्ष में फैसला सुनाया था. इसी बीच पंजाब ने बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) में आपत्ति दर्ज करा दी थी. बोर्ड ने 2016 में मध्य प्रदेश के खिलाफ फैसला सुनाया था.
2016 में ही हाईकोर्ट ने एपीडा को आदेश दिया था कि वह मध्य प्रदेश में उगाए जाने वाले बासमती के खिलाफ कोई भी निर्णय जल्दबाजी में न करे. लेकिन 27 फरवरी, 2016 को मद्रास हाईकोर्ट ने 13 जिलों में उगाए जाने वाले बासमती चावल के लिए जीआई टैग के लिए मध्य प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था.
ब्याने से पहले पशु क्या संकेत देते हैं ? कैसे निकालें पशु के ब्याने का सही समय ?
डेरी किसानों के लिए यह जरुरी है की वह पशुओं के व्यवहार को समझे ताकि वह आसानी से उनकी समस्याओं को जानकर उनका निदान कर पाए | ब्याने की अवस्था को जानना पशुपालकों के लिए बहुत जरुरी है | सभी पशु यदि वह सामान्य अवस्था में नहीं है तो वह संकेतों के माध्यम से बताता है | विभिन्न अवस्थाओं में से ब्याने से पूर्व भी पशु कुछ संकेत देते हैं |मादा पशुओं ब्याने के संकेतों को समझने से पशुपालक को या जानने में मदद मिलती है कि पशु चिकित्सा सहायता की कब आवश्यकता होगी। ब्याने के संकेतों को मूल रूप से 3 अवस्थाओं से गुजरती है
- ब्याने से पहले के संकेत (ब्याने से 24 घंटे पहले)
- ब्याना
- गर्भनाल/जेर का निष्कासन करना
ब्याने से पहले पशु क्या संकेत देते हैं
मादा पशुओं में ब्याने से पूर्व निम्न लक्षण दिखने लगते हैं | इन संकेतों को जान आप समझ सकते ही आप समझ सकते हैं की पशु जल्द ही ब्याने वाला है |
- यदि पशु के योनि द्वारा से स्वच्छ श्लेष्मा का रिसाव हो रहा हो और थनों का दूध से भर जाना प्रारंभ हो जाता है इसे ही पशु के ब्याने की शूरूआत के आसन्न लक्षण हैं।
- समूह से अलग रहने की कोशिश करता है।
- ऐसे समय में पशु की भूख खत्म हो जाती है और वह खाने में दिलचस्पी नहीं लेता |
- पशु बेचैन होता है और पेट पर लातें मारता है या अपने पार्श्व/बगलों को किसी चीज से रगड़ने लगता है।
- श्रोणि स्नायु/पीठ की मांशपेशियां ढीली पड़ जाती है जिस से पूँछ ऊपर उठ जाती है।
- योनि का आकार बड़ा एवं मांसल हो जाता है।
- थनों में दूध का भराव ब्याने के 3 सप्ताह पहले से लेकर ब्याने के कुछ दिन बाद तक हो सकता है।
- बच्चा जैसे-जैसे प्रसव की स्थिति में आता है, वैसे-वैसे पशु के पेट का आकार बदलता है।
ब्याने के दिन का पता लगाना
यदि आपको यह पता करना है की पशु (गाय या भैंस ) का ब्याना का सही समय क्या है तो आप इस तरह से निकाल सकते हैं |
- जब भी पशु का गर्भधान करवाएं हमेशा गर्भाधान की तारीख लिखकर रखें।
- अगर पशु पुन: मद में नहीं आता है तो गर्भाधान के 3 माह पश्चात् गर्भ की जाँच अवश्य करवाएं।
- यदि गर्भाधान सही हुआ है तो आप उसके ब्याने का समय निकाल सटे हैं क्योकि गाय का औसत गर्भकाल 280-290 दिन एवं भैंस 305 – 318 दिन।
ब्याने के संकेत (ब्याने के 30 मिनट पहले से लेकर 4 घंटे तक)
- सामान्य रूप से ब्याते समय बछड़े के आगे के पैर और सिर सबसे पहले दिखाई देते हैं।
- ब्याने की शुरूआत पानी का थैला दिखाई देने से होती है।
- यदि बछड़े की स्थिति सामान्य है तो पानी का थैला फटने के 30 मिनट के अंदर पशु बछड़े को जन्म दे देता है।
- प्रथम बार ब्याने वाली बछड़ियों में यह समय 4 घंटे तक हो सकता है।
- पशु खड़े खड़े या बैठकर ब्या सकता है।
- यदि पशु को प्रसव पीड़ा शुरु हुए एक से ज्यादा समय हो जाएँ और पानी का थैला दिखाई न दे तो तुरंत पशु चिकित्सा सहायता बुलानी चाहिए।
यह भी पढ़ें हरा चारा सुरक्षित रखने वाली साइलेज इकाई स्थापित करने के लिए सरकार दे रही है 4 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 460