कानपुर ब्यूरो
Updated Tue, 20 Dec 2022 11:27 PM IST
ऑन द स्पॉट : बाहर बाबू-अंदर दलाल लगाते 'जुगाड़', यहां रुपये दिए बिना नहीं बनता लाइसेंस
लखनऊ(जेएनएन)। कहने को तो संभागीय परिवहन कार्यालय की सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं, लेकिन देवा रोड स्थित एआरटीओ दफ्तर में हर काम ऑफलाइन हो रहा है। लाइसेंस के लिए पंजीयन कराना हो या वाहन का ट्रांसफर। कोई काम दलाल बिना नहीं हो सकता। कमोबेश यही हाल कानपुर रोड स्थित आरटीओ का भी दिखा। यहां जिस कार से ड्राइविंग टेस्ट लिया जा रहा था। परीक्षण के दौरान तो उसका ब्रेक भी नहीं लगा। मौके पर जमा जरूरतमंदों से ज्यादा संख्या दलालों की मिली। सोमवार को जागरण की ऑन द स्पॉट टीम मौके पर पहुंची तो लोगों की परेशानी उभरकर सामने आयी। कैमरे का फ्लैश चमका तो दलाल भाग खड़े हुए।
आरटीओ दफ्तर के सामने सड़क पर पेड़ों के नीचे बाइक पर बैठे दलाल आते-जाते लोगों को रोक रहे थे। गोमतीनगर से आए विनोद पाल दलाल के झांसे में फंस गए। पाल के अनुसार, दलाल ने लाइसेंस बनवाने के एवज में उनसे 2400 रुपये मांगे। उनके पास उतने पैसे नहीं थे। वह कार्यालय में गए तो बाबू ने उन्हें सर्वर न चलने का बहाना बताया। बाहर आए तो फिर दलाल ने घेरा। आखिर वह मजबूर हो गए। कागज व 1500 रुपये दलाल को देकर चले गए।
तरला दलाल (Tarla Dalal) के जीवन पर बन रही फिल्म
तरला दलाल के जीवन पर एक फिल्म बनने जा रही है
जल्द ही तरला दलाल के जीवन पर एक फिल्म बनने जा रही है। फिल्म का नाम भी ‘तरला’ रखा गया है। इस फिल्म में बॉलीवुड अभिनेत्री, हुमा कुरैशी मुख्य भूमिका में नज़र आएंगी। फिल्म में तरला दलाल के जीवन से जुड़ी मुख्य घटनाएं और पाक कला के सबसे ऊंचे मकाम पर पहुंचने तक के उनके सफर के बारे में बताया जाएगा।
इस फिल्म का निर्माण रोनी स्क्रूवाला, अश्विनी अय्यर तिवारी और नितेश तिवारी द्वारा किया जाएगा और इसके निर्देशक पीयूष गुप्ता हैं। पीयूष गुप्ता लेखक हैं और बतौर निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म है।
खाना पकाना – एक विरासत
तरला दलाल (Tarla Dalal) का जन्म पुणे में हुआ। साल 1960 में तरला की शादी नलिन से हुई, जिसके बाद वह मुंबई शिफ्ट हो गईं। तरला को खाना पकाने का शौक़ शुरु से रहा। 1966 में उन्होंने अपने शौक़ और जुनून को एक नई दिशा देने का फैसला किया और अपने पड़ोसियों के लिए कुकरी क्लास चलाने लगीं। इस क्लास में वह साधारण थाई डिश से लेकर मेक्सिकन, इटालियन और भारतीय व्यंजन बनाना सिखाती थीं।
लोगों को उनकी क्लास बेहद पसंद आई और कुछ दलाल कौन बन सकता है ही समय में वह काफी लोकप्रिय हो गईं। इसके बाद, काफी बड़ी संख्या में लोग तरला की क्लास में एनरोल कराने आने लगे। उनकी क्लास की लोकप्रियता को देखते हुए, उस समय भारत के सबसे प्रमुख प्रकाशकों में से एक, वकील एंड संस ने उनकी पहली कुकबुक प्रकाशित करने के लिए उनके साथ कोलेबोरेट किया। इस किताब का नाम था – ‘द प्लेजर ऑफ वेजिटेरियन कुकिंग’।
साल 1974 में प्रकाशित की गई इस किताब में इंडियन, चायनीज़ और पश्चिमी शाकाहारी व्यंजनों की कई रेसिपी थी। दलाल कौन बन सकता है इस किताब का अनुवाद कई भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली के साथ-साथ डच और रूसी जैसी विदेशी भाषाओं में भी किया गया था।
कुकिंग क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित एक मात्र भारतीय (Tarla Dalal)
तरला की पाक कला में गहरी समझ थी। अपनी किताबों में उन्होंने कई विषयों पर फोकस किया और अलग-अलग तरह की रेसिपीज़ के बारे में बताया, जैसे- सुबह का नाश्ता, कम तेल में खाना बनाना, देसी भोजन, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए दिलचस्प रेसिपीज़ आदि। इसके अलावा, उन्होंने एक हेल्थ सिरीज़ भी लिखी।
इन वर्षों में, तरला दलाल के कुकबुक की लाखों प्रतियां बिकीं, जिससे वह भारतीय गृहिणियों और कामकाजी महिलाओं के किचन का हिस्सा बन गईं। तरला हमेशा समय के साथ आगे बढ़ती गईं। उन्होंने ‘तरला दलाल फूड्स’ (TDF) नाम के एक ब्रांड के तहत रेडी-टू-कुक मिक्स की एक लाइन भी लॉन्च की।
मुंबई के पास अंबरनाथ में एक कारखाने में 18 से अधिक तरह दलाल कौन बन सकता है के इंस्टेंट मिक्स बनाए जाते थे। साल 2013 में, इसे कॉर्न प्रोडक्ट्स कंपनी (इंडिया) लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित किया गया था। तरला, साल 2007 में खाना पकाने के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली एकमात्र भारतीय बनीं।
माँ की विरासत संभाल रहा बेटा
“हम स्वास्थ्य से जुड़ी रेसिपीज़ पर ध्यान देते हैं”
17,000 व्यंजनों की रेसिपी के साथ तरला ने अपनी वेबसाइट – www.tarladalal.com – लॉन्च की। ऐसा दावा किया जाता है कि यह सबसे बड़ी भारतीय फूड रेसिपी वेबसाइट है, जिसमें देशी से लेकर अंतर्राष्ट्रीय व्यंजनों की उनकी सभी शाकाहारी रेसिपीज़ शामिल हैं।
उन्होंने कुकिंग एंड मोर नामक एक द्विमासिक पत्रिका भी निकाली और टेलीविजन पर कुकिंग शो होस्ट करना भी शुरु किया। यह उनका अपना शो ‘कुक इट अप विद तरला दलाल’ था, जिसने उन्हें घर-घर में लोकप्रियता दिलाई और सेलीब्रिटी शेफ बनाया।
साल 2013 में, 77 वर्ष की आयु में, तरला दलाल कौन बन सकता है दलाल (Tarla Dalal) का उनके मुंबई आवास पर दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। वह अपने पीछे पाक कला की 40 साल की विरासत छोड़ गईं। उनके तीन बच्चे हैं। उनके बेटे संजय दलाल अब वेबसाइट, कुकबुक के प्रकाशन, कुकरी क्लास और सोशल मीडिया अकाउंट देखते हैं।
Etawah News: फीस साढ़े 13 सौ, दलाल बनवा रहे 35 सौ में लाइसेंस
कानपुर ब्यूरो
Updated Tue, 20 Dec 2022 11:27 PM IST
इटावा। एआरटीओ कार्यालय लाइसेंस बनवाने आने वालों से दलालों का मोलतोल चल रहा है। परिसर में ड्राइविंग ट्रैक झाड़ियों से घिरा हुआ है, इस पर वाहन चल नहीं सकता। इसके बाद भी टेस्ट में झोलझाल कराकर लर्निंग लाइसेंस के नाम पर दलाल पांच गुना राशि वसूल रह हैं। स्थायी लाइसेंस के लिए भी दाम तय हैं। जिम्मेदार हर बार की तरह जांच की बात कह रहे हैं।
कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज के पीछे उप परिवहन कार्यालय संचालित है। इसके बाहर दलालों का प्रवेश वर्जित, ये संदेश लिखा है लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। कार्यालय के बाहर लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले जैसे ही दिखते हैं, दलाल उन्हें घेर लेते हैं। सुबह 10 बजे से दुकानों पर दलाल और उनके गुर्गे 1500 रुपये में लर्निंग और दो हजार रुपये में स्थायी लाइसेंस बनवाने की बात कहकर आवेदकों को भागदौड़ से बचने की पट्टी पढ़ाते हैं। ड्राइविंग टेस्ट और ऑनलाइन परीक्षा का ठेका लेकर 30-35 दिन में लाइसेंस घर पहुंचवाने का दावा करते हैं।
डील पक्की होने के बाद सारे प्रपत्र लेकर फोटो खिंचाने के लिए बुलाते हैं, बाकी सब काम कागजों पर पूरा कर दिया जाता है। आवेदकों को भी न वाहन चलाकर दिखाने की टेंशन, न ऑनलाइन परीक्षा में फेल होने की। टेस्ट में उत्तर बताने के लिए भी दलाल मौजूद रहते हैं। (संवाद)
150 से 200 आवेदन रोज आते
एआरटीओ कार्यालय में रोजाना 150 से 200 आवेदन लाइसेंस के प्राप्त हो रहे हैं। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद लाइसेंस बनने के बाद डाक से घर भेजा जाता है। इस व्यवस्था में भी दलालों ने सेंध लगा दी है। सेटिंग के दम पर आवेदन से लेकर स्थायी लाइसेंस बनवाने तक का काम वह खुद कर रहे हैं। जैसे ही आवेदक एआरटीओ कार्यालय के गेट पर पहुंचता है, दलाल उसे खींच लेते हैं। मोलतोल के बाद वही आवेदन कराते हैं और फिर टेस्ट व बाकी औपचारिकताएं भी पूरी कर देते हैं।
झाड़ फूस से घिरा ड्राइविंग ट्रैक
परिसर में बने ड्राइविंग ट्रैक पर बड़ी-बड़ी घास खड़ी है। ट्रैक की हालत देखकर ही लगता है कि यहां टेस्ट के बिना ही लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं। अगर कोई बिना दलाल को लिए अंदर जाएगा तो बाबू और अधिकारी वाहन चलाने के नियम बताएंगे। दलाल के आते ही सारे काम हो जाते हैं।
ये है सामान्य फीस
लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन 350 रुपये फीस कटती है। इसके बाद स्थायी लाइसेंस के लिए एक हजार रुपये फीस लगती है।
इस तरह रहती दलालों की बोली
- क्या बनवाना है। लर्निंग लाइसेंस के 1500 रुपये लगेंगे। स्थायी कराते वक्त दो हजार रुपये। रुपये और दस्तावेज दे दो। हम देखकर बता देंगे कि फोटो कब खिंचवाने आना है। टेस्ट की टेंशन न लो हम सब करा देंगे।
- कौन है कोई अपना खास है तो 1200 रुपये में लर्निंग वरना 1500 रुपये से कम में बात नहीं बन पाएगी। स्थायी के दो हजार रुपये दलाल कौन बन सकता है हैं, खास का 1800 में कर देंगे। एक बार फोटो खिंचवाने और एक बार टेस्ट देने के लिए आना होगा।
लोग खुद सीधे आकर काम करा सकते हैं। दलालों के भरोसे बिल्कुल न रहें। बिना भेदभाव के कार्यालय में काम करने के निर्देश दिए हैं। दलालों के दखल की जांच कराई जाएगी। - ब्रजेश यादव, एआरटीओ प्रशासन।
कौन बने दलाल, अजय या इमरान
मिलन लूथरा फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ बना दलाल कौन बन सकता है रहे हैं, लेकिन हीरो को लेकर पेच फंस गया है। फिल्म में मुख्य किरदार एक दलाल का है। लूथरा इसके लिए अजय देवगन को लेना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए उनसे बात भी की थी, पर दाल नहीं गली।
वहीं फिल्म की निर्माता एकता कपूर चाहती थीं कि इस फिल्म में इमरान हाशमी को मौका दिया जाए। हाशमी भी जी जान से इस फिल्म को लपकने में लगे हैं। एकता का मानना है कि किसिंग किंग ही इस किरदार के लिए फिट बैठते हैं। वैसे उन्होंने लूथरा को पूरी आजादी दी है कि वह अपनी पसंद के मुताबिक किरदारों का चयन करें, दलाल कौन बन सकता है लेकिन लूथरा देवगन को इस रोल के लिए मना नहीं पाए हैं। देखते हैं कि यह कब संभव होता है। कौन किसे मना पाता है।
सीमा शुल्क ब्रोकरेज में शामिल शुल्क क्या हैं?
एक कस्टम ब्रोकर आमतौर पर ब्रोकरेज शुल्क लेता है, जो आमतौर पर आयातित शिपमेंट के मूल्य का प्रतिशत दलाल कौन बन सकता है होता है। सीमा शुल्क प्रविष्टि की जटिलता, आयातित माल के मूल्य और अनुपालन की सुगमता के आधार पर, आयातक और सीमा शुल्क दलाल दलाली के शुल्क पर परस्पर सहमत होते हैं।
कृपया ध्यान दें कि कंपनी और डिलीवरी के स्थान के आधार पर शुल्क भी भिन्न हो सकते हैं।
ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान सीधे सीमा शुल्क दलाल को पहले ही कर दिया जाता है ताकि एजेंट दस्तावेज जमा करने और सीमा शुल्क शुल्क संसाधित करते समय होने वाली लागत को कवर कर सके। ब्रोकरेज को कई तरह से चार्ज किया जा सकता है -
- प्रति सेवा के लिए एक फ्लैट के रूप में
- सेवाओं के बंडल के लिए एक मूल्य के रूप में, या
- शिपमेंट मूल्य के प्रतिशत के रूप में।
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